Add To collaction

लेखनी कहानी -02-Aug-2023 ब्लैक रोज

भाग 1 
अगस्त का महीना चल रहा था । बंबई में इस महीने में बहुत बरसात होती है । आज बरसात तो नहीं हो रही थी लेकिन हवाऐं बहुत तेज चल रही थी । रात बहुत गहरी हो गई थी । आसमान पर काले काले बादल छाये हुए थे । बादलों की गड़गड़ाहट से रश्मि सिहर जाती थी । "पता नहीं ये बादल आज इतने क्यों घड़घड़ा रहे हैं ? क्या इन्हें भी कोई तकलीफ है जो इस तरह छटपटा रहे हैं जैसे सावन में कोई विरहिन पिया के वियोग में छटपटाती है ? हो सकता है कि बादल भी किसी से प्यार करते हों और अपनी प्रेमिका से मिल नहीं पा रहे हों, इसलिए जोर जोर से घड़घड़ा कर अपनी व्यथा सुना रहे हों" । रश्मि सोचने लगी । आज अमावस की रात थी । अमावस की रात चंद्र देव "होली डे" मनाने किसी रिसोर्ट में चले जाते हैं शायद ? तभी तो घुप अंधेरा हो जाता है धरती पर । अमावस की रात वैसे भी भारी होती है । हाथ को हाथ नहीं सूझता है । अंधेरा अपने साथ भय और अपराध लेकर आता है । अचानक बड़े जोरों की आवाज के साथ दो बादल आपस में टकरा गये और एकदम से मूसलाधार बरसात होने लगी । 

बादलों के धूमधड़ाके से रश्मि का दिल बैठा जा रहा था । पूरे घर में वह अकेली थी । उसका पति रोहन अभी तक घर नहीं आया था । वह उसका कब से इंतजार कर रही थी । उसका मोबाइल भी स्विच्ड ऑफ था । रोहन सामान्यत: ग्यारह बजे तक घर आ जाता था पर आज तो बारह बज गये थे और रोहन का अभी तक कोई अता पता नहीं था । रश्मि की धड़कनें बढ़ गईं थीं । "रोहन अभी तक नहीं आया है न जाने कहां होगा वह ? क्या उसे ढूंढना चाहिए" ? रश्मि के मन से आवाज आई 
"हां, उसे अवश्य ही ढूंढना चाहिए । आखिर वह उसका पति है । उसका मोबाइल भी स्विच्ड ऑफ आ रहा है जो कुछ असामान्य घटना घटने का संदेश दे रहा है" । रश्मि ने रोहन को ढूंढने का निश्चय कर लिया । 

वह पलंग से उठ खड़ी हुई । पूरी कॉलोनी की बिजली गुल थी , घना अंधेरा था इसलिए वह टॉर्च ढूंढने लगी । टॉर्च मिलने के बाद उसने टॉर्च जला दी । घर उजाले से भर गया । यद्यपि टॉर्च का उजाला बहुत कम होता है पर उससे आशा बड़ी हो जाती है । मन में विश्वास होने लगता है कि अंधेरा छंटने वाला है । हिम्मत आ जाती है । 

रश्मि ने रेनकोट पहना , कार की चाबी उठाई और वह दरवाजा खोलकर बाहर आ गई । बाहर बड़ी तेज बरसात हो रही थी । "गाड़ी से ढूंढना ज्यादा ठीक रहेगा । पैदल पैदल कहां तक चल सकती थी वह" ? फिर बरसात भी बहुत भयंकर हो रही थी अत : वह धीरे धीरे गैराज की ओर बढने लगी । गैराज बंद था । उसने गैराज का शटर उठाया और पूरी ताकत से उसे ऊपर की ओर खींचा । गैराज खुल गया था मगर अंदर अंधेरा इतना था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था । उसने टॉर्च जलाई और गैराज में देखा तो उसकी चीख निकल गई । गैराज में रोहन की खून से लथपथ लाश पड़ी हुई थी । 

रश्मि जोर जोर से चिल्लाई पर उस तूफान में उसकी आवाज सुनने वाला कौन था ? आजकल लोग तो अपनी अंतरात्मा की आवाज भी नहीं सुनते हैं तो वे किसी और की आवाज क्यों सुनेंगे ? महानगरीय संस्कृति केवल खुद पर ध्यान केन्द्रित करती है, अन्य पर नहीं । पड़ोस में कौन रह रहा है, इससे किसी को कोई मतलब नहीं होता है । कोई मरे या जीवे, किसी को किसी से कोई लेना देना नहीं है । कृत्रिम जीवन जी रहे हैं लोग महानगरों में । रश्मि चिल्ला चिल्ला कर थक गई थी फिर भी उसकी आवाज पर एक चूहा तक नहीं आया था । रश्मि ने अपना मोबाइल ऑन किया और 100 नंबर पर डायल कर दिया । 

थोड़ी देर में पुलिस आ गई । पुलिस की गाड़ी देखकर कॉलोनी के लोग घरों से बाहर निकल कर सड़क पर आ गये और तमाशा देखने लगे । वस्तुत: लोग तमाशबीन हैं । उन्हें हर समय "तमाशा" चाहिए जिससे उनका मनोरंजन हो सके । इस देश में काम कुछ होता है या नहीं , पता नहीं , मगर तमाशा खूब होता है । संसद से लेकर विधान सभाओं तक, मीडिया से लेकर न्यायालयों तक, हर जगह "तमाशा" ही चल रहा होता है और जनता इसका आनंद ले रही होती है । 

पुलिस वैन से इंस्पेक्टर विकास बाहर निकला और रश्मि के घर की डोर बैल घनघना उठी । 
"पुलिस" इंस्पेक्टर विकास की तेज आवाज अंधेरे को चीरती हुई गूंज उठी । 
रश्मि ने दरवाजा खोल दिया और घर से बाहर निकल आई । "आपने ही फोन किया था मैम" ? इंस्पेक्टर विकास बोला 
"जी" आंसुओं में डूबी रश्मि बोल पड़ी । 
"मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूं, मैम" ? 

रश्मि कुछ नहीं बोली और इंस्पेक्टर विकास को अपने पीछे आने का इशारा कर दिया । इंस्पेक्टर विकास उसके पीछे पीछे चल दिया । बरसात बहुत तेज थी इसलिए विकास  छाता साथ लेकर आया था । रश्मि उसे गैराज की ओर ले जा रही थी । गैराज के सामने जाकर वह खड़ी हो गई और उसने गैराज की ओर इशारा कर दिया । इंस्पेक्टर विकास ने गैराज का शटर ऊपर उठाया तो उसकी आंखें आश्चर्य से फटी रह गईं । गैराज में एक जवान आदमी की लाश पड़ी हुई थी । उसका चेहरा जगह जगह से चाकू से काटा गया था । फर्श पर खून ही खून फैला हुआ था । लाश के सीने पर एक "ब्लैक रोज" रखा हुआ था । ब्लैक रोज के नीचे एक सफेद कागज रखा हुआ था जिस पर लिखा हुआ था "आमीन" । 

(कहानी में आगे पढेंगे कि रोहन और रश्मि कौन थे ? रोहन की हत्या किसने और क्यों की ? इस हत्या का "ब्लैक रोज" से क्या संबंध है ? क्या ये पहली और आखिरी हत्या है या अब हत्याओं का सिलसिला प्रारंभ हो रहा है ? यह जानने के लिए कहानी पढते रहें और अपने बहुमूल्य कमेंट करते रहें)। धन्यवाद 

श्री हरि 
2.8.2023 


   18
3 Comments

Punam verma

11-Aug-2023 03:45 PM

Very nice

Reply

Milind salve

03-Aug-2023 02:45 AM

Nice

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

03-Aug-2023 07:49 PM

हार्दिक अभिनंदन 💐💐🙏🙏

Reply